Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Dec 2018 · 1 min read

नयापन क्या है

नव वर्ष के जश्न मनाते लोग
हर तरफ हंगामा शोर क्यो मचा रखा है
मुझे ये तो बता, इसमें नयापन क्या है
लोग वही होंगे सोच वही रहेंगे
प्रवृति निम्न संस्कार विमुख होंगे
सूर्य चमकेगा आकाश में
जमी पर अंधेरा छाए रहेंगे
चमकेंगे आकाश में तारें
जमी पर दुख के पहाड़ होंगे
ना आसमा बदला ना बदली जमीन
बदल गया गैरत और जमीर
साल बदला है लोग वही
संगत बिगड़ेगी या रंगत बदलेगा
या आचरण और संस्कार का
क्षय होगा नाश होगा
वक्त की यादें कभी मीठी
तो कभी कड़वी हो जाएगा
यही तो होता आया अब तक
नव वर्ष के जश्न में डूबे
मुझे ये बता, इसमें नयापन क्या है
कोई गम से भीगें कोई शराब में डूबे
कोई दावत उड़ाये,कोई भूखा सो जायें
आरोप-प्रत्यारोप आक्षेप- साक्षेप
में लीन-तल्लीन है जीवन
करते प्रतिज्ञा लेते संकल्प
ना बदले थे, ना बदलेंगे हम
बदलते साल बदलते कैलेंडर
खुद को ना बदल पायें हम
नव वर्ष में जश्न में डूबे
मुझे ये बता, इसमें नयापन क्या है

Language: Hindi
2 Likes · 437 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
पुष्प सम तुम मुस्कुराओ तो जीवन है ।
पुष्प सम तुम मुस्कुराओ तो जीवन है ।
Neelam Sharma
दिल में उम्मीदों का चराग़ लिए
दिल में उम्मीदों का चराग़ लिए
_सुलेखा.
रंग बरसे
रंग बरसे
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
हम करें तो...
हम करें तो...
डॉ.सीमा अग्रवाल
"पहले मुझे लगता था कि मैं बिका नही इसलिए सस्ता हूँ
दुष्यन्त 'बाबा'
अलगौझा
अलगौझा
भवानी सिंह धानका "भूधर"
हीर मात्रिक छंद
हीर मात्रिक छंद
Subhash Singhai
मैं आदमी असरदार हूं - हरवंश हृदय
मैं आदमी असरदार हूं - हरवंश हृदय
हरवंश हृदय
गुस्सा सातवें आसमान पर था
गुस्सा सातवें आसमान पर था
सिद्धार्थ गोरखपुरी
छिप-छिप अश्रु बहाने वालों, मोती व्यर्थ बहाने वालों
छिप-छिप अश्रु बहाने वालों, मोती व्यर्थ बहाने वालों
पूर्वार्थ
तुम्हारी आंखों के आईने से मैंने यह सच बात जानी है।
तुम्हारी आंखों के आईने से मैंने यह सच बात जानी है।
शिव प्रताप लोधी
*क्या देखते हो *
*क्या देखते हो *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
बींसवीं गाँठ
बींसवीं गाँठ
Shashi Dhar Kumar
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आज के दौर
आज के दौर
$úDhÁ MãÚ₹Yá
*एक अखंड मनुजता के स्वर, अग्रसेन भगवान हैं (गीत)*
*एक अखंड मनुजता के स्वर, अग्रसेन भगवान हैं (गीत)*
Ravi Prakash
डबूले वाली चाय
डबूले वाली चाय
Shyam Sundar Subramanian
विडंबना इस युग की ऐसी, मानवता यहां लज्जित है।
विडंबना इस युग की ऐसी, मानवता यहां लज्जित है।
Manisha Manjari
मन का डर
मन का डर
Aman Sinha
पहाड़ी नदी सी
पहाड़ी नदी सी
Dr.Priya Soni Khare
मेरी मां।
मेरी मां।
Taj Mohammad
इश्क में ज़िंदगी
इश्क में ज़िंदगी
Dr fauzia Naseem shad
"खरगोश"
Dr. Kishan tandon kranti
पूछूँगा मैं राम से,
पूछूँगा मैं राम से,
sushil sarna
तेरे हम है
तेरे हम है
Dinesh Kumar Gangwar
#शेर-
#शेर-
*Author प्रणय प्रभात*
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet kumar Shukla
न किसी से कुछ कहूँ
न किसी से कुछ कहूँ
ruby kumari
आंखों से बयां नहीं होते
आंखों से बयां नहीं होते
Harminder Kaur
मारे ऊँची धाक,कहे मैं पंडित ऊँँचा
मारे ऊँची धाक,कहे मैं पंडित ऊँँचा
Pt. Brajesh Kumar Nayak
Loading...