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30 Sep 2023 · 1 min read

अंतर्द्वंद्व

सत्य और असत्य से अनभिज्ञ मनोमस्तिक,
अंतर्मन का वाद विवाद प्रतिवाद के,
कशमकश का चलता एक कारवां,
सतत् अंतर्द्वंद्व।

और असमंजस में उलझता ये मन,
किसे सत्य मानें, किसे असत्य स्वीकारें
स्वयं से बार बार सवाल करता अंतर्मन।
सतत अंतर्द्वंद।

असमंजस में विचारों का उथल पुथल,
इसी उधेड़बुन में कौंधते कई सवाल,
अनिर्णय का क्षण -प्रतिक्षण
सतत अंतर्द्वंद।

उत्साह में भाव में प्रभाव में,
हो उद्वेलित ठान लेता निर्णय,
पर पुनः ठिठक जाता है मन,
सतत अंतर्द्वंद।

स्वयं से छिड़ी जंग है,
यह अंत है या अनंत है,
निर्णय अनिर्णय के दोराहे पे ,
यह सतत अंतर्द्वंद है।

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