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8 Aug 2023 · 1 min read

चिकने घड़े

तीरे पर तीर चलाते है जहरीले ,
मगर घायल तो कोई होता नहीं ।
हादसों पर अफसोस का सिलसिला ,
शर्म तो किसी को फिर भी आती नहीं।
अजी! छोड़िए भी इतने ही गैरत मंद होते,
ऐसी निम्न दर्जे की सियासत वो ,
कभी करते ही नहीं ।
न यह घायल होते है न इन्हें शर्म आती है ,
भगवान जाने किस मिट्टी के बने हैं ,
सच मानो चिकने घड़े हैं यह ,
इंसान तो यह सियासत दान है ही नहीं।

Language: Hindi
2 Comments · 455 Views
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