Mamta Singh Devaa 445 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Mamta Singh Devaa 15 Dec 2020 · 1 min read ' उपर वाले की लाठी ' कैसा कोरोना काल था अजब सबका हाल था वहीं एक घर में दादी का खाना भी मुुुहाल था , सब अपने में मदमस्त अपने में चूर देखो कैसे विपदा में... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 43 100 1k Share Mamta Singh Devaa 1 Feb 2021 · 1 min read ' अतृप्ति ' पीय तुमको तो मयुर बन अपने प्रेम का पंख फैला बरखा में मदमस्त हो मेरे आस - पास ही बसना था , तुम तो मुझे चातक बना कर खुद बरखा... "कुछ खत मोहब्बत के" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 40 113 1k Share Mamta Singh Devaa 18 Mar 2024 · 1 min read जीवन से पहले या जीवन के बाद जीवन से पहले या जीवन के बाद इन दोनों का हमेशा से आपस में गहरा मेल है दोनों ही परिस्थितियों में शरीर नहीं रहता सब आत्मा का खेल है ,... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · आत्मा · जीवन · मृत्यु · शरीर · सांस 6 4 58 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read " बाबू ( पिता ) " " पिता "...... जिसके दम पर हमने जी भर के मनमानी की बेहिसाब शैतानी की जिसने हमें सर पर चढ़ाया और हमने सर पर चढ़ कर ये दिखाया कि देखो... Hindi · कविता 5 4 500 Share Mamta Singh Devaa 6 Jul 2020 · 1 min read रिश्तेदारी रिश्तेदारी पानी में फैले तेल की तरह है जो पानी में ना कभी मिलती है ना घुलती है जरा सी अफवाहों की चिंगारी से सिर्फ और सिर्फ जलती - धधकती... Hindi · कविता 5 6 274 Share Mamta Singh Devaa 20 Jul 2020 · 2 min read " तब गाँव हमें अपनाता है " छुट्टियों में त्योहारों में गाँव जाते थे हम क्योंकि गाँव बसता था हमारे व्यवहारों में , हमारे गाँव जाने का एक मकसद होता था मन उत्तेजनाओं से भरा होता था... Hindi · कविता 5 4 408 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read थोड़ा अंदर का सच गृहिणियों का ये गृहिणियाँ थोड़ी नही पूरी पागल सी होती हैं ये रोज़ अपनों को रच - रच कर प्यार से खिलाती हैं घर का सारा हिसाब- किताब संभालती हैं पर सामने... Hindi · कविता 4 2 611 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read युग का अंतर कृष्ण अगर कलियुग के मित्र होते तो कमी सुदामा में भी निकालते , कहते सुदामा का पुत्र उससे बेहतर है सुदामा उससे कमतर है , पुत्र तो जो है सब... Hindi · कविता 4 2 232 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read इंतज़ार... वृद्धा आश्रम की माँओं का हमने बड़े जतन से प्रेम और ममत्व से तुम्हारी नज़रें उतार कर अपनी पलकों पर बिठा कर रखा तुम्हें संभाल कर , तुम्हारे गिरने से पहले खुद ही चीख उठते... Hindi · कविता 4 4 408 Share Mamta Singh Devaa 4 Jul 2020 · 1 min read जिंदगी ज़िंदा रहना ज़रूरी है ये कैसी मजबूरी है , मरने की इच्छा है तो कानून की उपेक्षा है , अजब ज़िंदगी है गजब ज़िंदगी है , क्या - क्या रंग... Hindi · कविता 4 2 279 Share Mamta Singh Devaa 4 Jul 2020 · 1 min read दोस्ती एक वरदान दोस्ती एक वरदान है जो सबको नही मिलती , कई जन्मों के कर्मों की देन है जो सबको नही मिलती , ये एक सौभाग्य है जो सबको नही मिलती ,... Hindi · कविता 4 4 773 Share Mamta Singh Devaa 4 Jul 2020 · 1 min read तब और अब कभी... कानों को सुख देता था सन्नटे को चीरता वो हो हल्ला और अच्छा लगता था दिन - भर गलचौर करना , सुकून देता था... सबका हुक्म बजा लाना बेवजह... Hindi · कविता 4 4 293 Share Mamta Singh Devaa 4 Jul 2020 · 1 min read प्रारम्भ दिन - प्रतिदिन हिम्मत लस्त हौसला पस्त लेकिन मेहनत पर विश्वास ज़बरदस्त , राह में रोड़े शब्दों के कोड़े लेकिन डटी रही मन को जोड़े , इस आशा में कभी... Hindi · कविता 4 2 548 Share Mamta Singh Devaa 4 Jul 2020 · 1 min read कहीं कुछ कमी सी है हवा में सरसराहट कम है धूप में गरमाहट कम है , होली में फगुआहट कम है दिवाली में जगमगाहट कम हैं , चूड़ियों में खनखनाहट कम है पायलों में छनछनाहट... Hindi · कविता 4 4 497 Share Mamta Singh Devaa 4 Jul 2020 · 1 min read मनमोहना मनमोहना..... तुमने हमेशा दिल की ही था सुना इतनी रानियों और पटरानियों के रहते सिर्फ़ राधा को ही था चुना , गोपियों से हैं तुम्हारे आज भी दिल के नाते... Hindi · कविता 4 6 569 Share Mamta Singh Devaa 6 Jul 2020 · 1 min read दिन गिनना सबका तरीका अपना - अपना दिन गिनना सबका तरीका अपना - अपना कोई जागकर कोई सोकर , कोई हँस कर कोई रोकर , कोई चिंता से कोई आराम से , कोई सुबह से कोई शाम... Hindi · कविता 4 385 Share Mamta Singh Devaa 6 Jul 2020 · 1 min read पैसा पैसों की खनक से जुर्म दब जाता है , पैसों के आगे रिश्ता खो जाता है , बिन पैसा गुण भी ढक जाता है पैसा हो तो अवगुण भी तर... Hindi · कविता 4 6 255 Share Mamta Singh Devaa 8 Jul 2020 · 2 min read मैं सच लिखने से क्यों डरूँ ? जो बात कहने से भी डरते है सब वो बात सबने कही वो कहने से नही डरे तो मैं सच लिखने से क्यों डरूँ ? जो तिरस्कार दिया अपनों ने... Hindi · कविता 4 4 177 Share Mamta Singh Devaa 12 Jul 2020 · 1 min read बे अर्थ ज़बान हम करते हैं आपकी इज्जत देते हैं मान - सम्मान आपके शहीद होने पर रोता है देश का हर इंसान , और आप कायदा - तरीका नज़ाकत - नफासत इस... Hindi · कविता 4 6 280 Share Mamta Singh Devaa 17 Aug 2020 · 1 min read " धोखा "...एक अलग तरह का खाना कोरोना काल हो या कोई और जंजाल हो कुछ बातें हमेशा अपने स्थान पर अडिग रहती हैं इनका हालत से कोई लेना - देना नही होता ये यथावत ऐसे ही... Hindi · कविता 4 2 275 Share Mamta Singh Devaa 19 Oct 2020 · 1 min read " मर्यादापुरूषोत्तम " अजब अवतार थे आप गजब अवतार थे आप सारे अवतारों में सर्वश्रेष्ठ अवतार थे आप , आपने खुद को मनुष्य जाना मर्यादा में रहने का प्रण ठाना , बड़ा अनोखा... Hindi · कविता 4 3 225 Share Mamta Singh Devaa 26 Jun 2020 · 1 min read कन्हैया कन्हैया .... क्या तुम फिर आना चाहोगे इन धुर्त , मक्कार और चालबाज़ों के बीच जो तुम्हारे नाम का धंधा करते हैं खुद ब्रांडेड कपड़े पहन धर्म को नंगा करते... Hindi · कविता 3 2 262 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read " पति सीता के " हे श्री राम ! आप जन - जन के लिए ईश्वर का अवतार बने परन्तु सीता के लिए ईश्वर से सिर्फ पति बने , कहते हैं पति परमेश्वर होता है... Hindi · कविता 3 4 531 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read " श्रधेय अटल जी " मेरी लेखनी से " श्रधेय अटल जी " के लिए...??? " सूरज को दीया दिखा सकूँ ऐसे नही हम हैं , आपको अपनी लेखनी में ढालूँ मेरी लेखनी में कहाँ... Hindi · कविता 3 4 390 Share Mamta Singh Devaa 3 Jul 2020 · 1 min read मेरी पहली कविता ( 13/07/1982 ) " वक्त से " तुम रहते हो तो मैं आशाओं के पुल बनाने लगती हूँ खुशियोंकी लकीरें खीचने लगती हूँ कि शायद तुम रूको इसी उम्मीद में दिन गुजर जाते हैं लेकिन तुम नही... Hindi · कविता 3 4 392 Share Mamta Singh Devaa 4 Jul 2020 · 1 min read सोच भविष्य की भूत होता ही है भूलने के लिए भविष्य की सोचिये वर्तमान को देखिये क्या बीता वक्त ही मिला है शिकायतेंं करने के लिए । स्वरचित एवं मौलिक ( ममता सिंह... Hindi · कविता 3 2 563 Share Mamta Singh Devaa 4 Jul 2020 · 1 min read समझौता अजीब से हालात के बीच जीना कितना कठिन फिर भी जीते हैं , लेकिन हालत को बदलने की चेष्टा नही करते हैं , करते हैं सिर्फ बड़ी - बड़ी बातें... Hindi · कविता 3 2 574 Share Mamta Singh Devaa 4 Jul 2020 · 1 min read आजादी किस मायने में ? आज़ादी..... किसी मायने में सोच की विचार की समझ की रिश्तों की समानता की भाषा की परिभाषा की क्या मिली है हमें ??? आज़ादी..... सही मायने में नासमझी की कुविचारों... Hindi · कविता 3 2 374 Share Mamta Singh Devaa 6 Jul 2020 · 1 min read दादी जी का जन्मदिन ज़िन्दगी का ये पल हर किसी की तकदीर में नही , हमारी किस्मत कि उनकी आँखों से इतने सालों का सफर देखें तो सही , इस सफर में सुख -... Hindi · कविता 3 2 363 Share Mamta Singh Devaa 6 Jul 2020 · 1 min read कृष्णा यमुना या कालिंदी का तीर मथुरा और बृज का वीर माखनचोर,कन्हैया,माधव मोहन,कान्हा या जाधव कितने नाम है तेरे ? सब कहते कृष्णा है मेरे, श्याम-रात्रि को जनम लिया श्याम-रंग को... Hindi · कविता 3 4 237 Share Mamta Singh Devaa 7 Jul 2020 · 1 min read नारी नारी तुम श्राप नही वरदान हो अपना ही नही सबका मान हो , खुद को पहचानों खुद को जानो , कोई भी सोच तुमको डरा नही सकती तुमको अपने पथ... Hindi · कविता 3 8 577 Share Mamta Singh Devaa 7 Jul 2020 · 1 min read अभिलाषा हमें नही चाहिए ऐसी आजादी जहाँ हम घिनौने वातावरण में पड़े लगातार होते जा रहे हैं बड़े , हमें नही चाहिए ऐसी आजादी जहाँ अपना मजहब प्रधान है और मानवता... Hindi · कविता 3 4 487 Share Mamta Singh Devaa 14 Jul 2020 · 1 min read आपत्ति पता नही क्यों इस वातावरण में साँस रूक - रूक कर चलती है , लेकिन आश्चर्य है इस पर भी लोगों को आपत्ति है । स्वरचित एवं मौलिक ( ममता... Hindi · कविता 3 8 277 Share Mamta Singh Devaa 19 Jul 2020 · 1 min read " योगा शिरोमणि " बहन मेरी जिद्दी थी शरीर से पिद्दि थी , दर्शनशास्त्र में डाक्टर थी मेरे लिए प्राक्टर थी , दार्शनिक बन कर नही वो मानी उसने फिर योग करने की ठानी... Hindi · कविता 3 4 249 Share Mamta Singh Devaa 27 Jul 2020 · 1 min read कैसे गाएँ गीत मल्हार ? आज की दुनिया रही चीत्कार सब तरफ है मारम्म मार कैसे गाएँ गीत मल्हार ? आफत पड़ी है कैसी यार सब हो गया है बेकार कैसे गाएँ गीत मल्हार ?... Hindi · कविता 3 6 454 Share Mamta Singh Devaa 28 Jul 2020 · 1 min read हिसाब आधा वक्त भूत को याद करके वर्तमान से भाग के भविष्य में सब पाने की कल्पना में बर्बाद करते , और बचे हुये थोड़े से वक्त में ज्यादा खोने कम... Hindi · कविता 3 349 Share Mamta Singh Devaa 16 Aug 2020 · 1 min read " आँचल भारत माँ का " ये जो मेरे चेहरे का नूर है वो कुछ और नही मेरे देशवासियों का गूरूर है , तनी है जो ये गर्दन मेरी इसकी वजह असंख्य औलादें हैंं मेरी ,... Hindi · कविता 3 2 399 Share Mamta Singh Devaa 24 Aug 2020 · 1 min read " कैसा विकराल ये कोरोना काल " क्या कहें कैसे कहें कोरोना के किस्से कितने कहें , ऐसा संक्रमण फैला पूरी दुनिया में दुबक बैठे सब अपने कोना कुनिया में , कोई ज्यादा सचेत तो कोई बेपरवाह... Hindi · कविता 3 2 220 Share Mamta Singh Devaa 30 Aug 2020 · 1 min read " सपने बोरियों में " सपने....... कुछ बड़े कुछ छोटे कुछ मीठे कुछ तीखे कुछ सच्चे कुछ झूठे सब बंद इन बोरियों में आओ....... इन्हें खोले इन्हें जिये इन्हें सच करें एक - एक कर... Hindi · कविता 3 242 Share Mamta Singh Devaa 20 Jan 2021 · 1 min read भोग बहुत तकलीफ दी है तुमने अपनों को माफी माँगों उनसे कुछ तकलीफ कम होगी तुम्हारी , अन्यथा अंत बहुत खराब है पंडित कमला की कुंडली देख बोला जा रहा था... Hindi · लघु कथा 3 7 272 Share Mamta Singh Devaa 21 Jan 2021 · 1 min read ' जानू ' घर में नन्हा बच्चा थोड़ा बोलने क्या लगा सब उससे कुछ ना कुछ बुलवाने में लगे थे । बेटा ये कौन हैं...पाप्पा...ये सुन पिता बलिहारी हुये जा रहे थे सभी... Hindi · लघु कथा 3 249 Share Mamta Singh Devaa 8 Mar 2021 · 1 min read लो फिर आ गया ' महिला दिवस '..... #अंतर्राष्ट्रीय_महिला_दिवस_2021 हर साल की तरह फिर से आ गया ' महिला दिवस ' ये बताने की शायद दस प्रतिशत सफल बाक़ी बेबस , हम वर्ष - महीने - हफ़्ते -... Hindi · कविता 3 4 332 Share Mamta Singh Devaa 9 Apr 2021 · 1 min read जब मैं जाऊँ..... जब मैं जाऊँ..... सखी तुम आना करके श्रृंगार सखी तुम आना बनके बहार , सखी तुम आना नैनन में ले के प्यार सखी तुम आना होके बेहद बेकरार , सखी... Hindi · कविता 3 2 434 Share Mamta Singh Devaa 9 Apr 2021 · 1 min read आविष्कार ईजाद - खोज तिलस्मिक दुनिया नित नवीन , अनिद्रा रोग चिकित्सा पद्धति जल उपाय , आयुर्वेदिक संस्कृतिर्विश्ववारा पद्धति विधा । स्वरचित एवं मौलिक ( ममता सिंह देवा , 31/03/2021 ) Hindi · हाइकु 3 246 Share Mamta Singh Devaa 9 Apr 2021 · 1 min read प्रेम इश्क - प्रणय गाफिल - बेकरार तलबगार , अपूर्व - स्नेह प्रत्यक्ष - अप्रत्यक्ष चिरस्थायिन , आसक्त - भक्त चाहत धरोहर प्रेम अमर । स्वरचित एवं मौलिक ( ममता सिंह... Hindi · हाइकु 3 268 Share Mamta Singh Devaa 9 Apr 2021 · 1 min read जल जल पयोधि अमूल्य विरासत व्यर्थ अनर्थ , सलील - नीर संकलन - संचय अन्यथा पीर , शकंर जटा गंगा अवतरण कृपानिधान । स्वरचित एवं मौलिक ( ममता सिंह देवा ,... Hindi · हाइकु 3 2 318 Share Mamta Singh Devaa 28 May 2021 · 1 min read ' यादें और बारिश ' बचपन की बरसात मजेदार होती थी सर से लेकर पैरों तक सराबोर होती थी , धीरे - धीरे हम बड़े होने लगे बरसात में थोड़े - थोड़े गीले होने लगे... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 6 300 Share Mamta Singh Devaa 13 Jun 2021 · 1 min read " मेरा मैं खुद पे मरता है " कोई इसपे मरता है कोई उसपे मरता है सबकी ऐसी की तैसी मेरा मैं खुद पे मरता है , कोई गोरे रंग पे मरता है कोई गजब ढ़ंग पे मरता... Hindi · कविता 3 2 275 Share Mamta Singh Devaa 15 Jun 2021 · 1 min read " बस्ता " माँ मुझे भी स्कूल जाना है लेकर एक प्यारा सा बस्ता भले हो वह सस्ता बस उसमें तेरा प्यार भरा हो सारे जहाँ का ज्ञान धरा हो ज्ञान ले कर... Hindi · कविता · बाल कविता 3 8 587 Share Mamta Singh Devaa 25 Jun 2020 · 1 min read तकिये के नीचे की पूड़ी बूढ़ी दादी बिमारी से जर्जर हो चली थीं बार - बार बच्चों की तरह थोड़ी - थोड़ी भूख लगती वो और सारी इक्षाओं पर तो काबू कर लेतीं पर ये... Hindi · लघु कथा 2 598 Share Page 1 Next