Comments (4)
27 Jun 2020 06:38 AM
श्री राम के चरित्र में परिलक्षित यह विरोधाभास मानव सोच का परिणाम है। श्री राम के चरित्र के दो पक्ष है एक राजा के रूप में प्रजा के प्रति निहित कर्तव्यों का पालन एवं उनकी समस्त शंकाओं का समाधान जो सर्वोपरि है। दूसरा एक पति के रूप में पत्नी के प्रति कर्तव्यों का पालन। मानव रूप में श्री राम नियति के प्रारब्ध की सीमाओं के बंधन में थे। यदि हम एक ही पक्ष को दृष्टिगत रखकर विचार करें तो हमें उनका वह पक्ष उनके चरित्र का दुर्बल पक्ष प्रतीत होगा। जबकि उनके चरित्र का आंकलन दोनों पक्षों को सामने रखकर करना होगा और उस स्थिति में जो भी निर्णय एक मानव रूप में श्री राम ने लिए हैं और अंतर्निहित मर्यादा का निर्वाह किया है , हमें उचित प्रतीत होगा।
धन्यवाद !
Mamta Singh Devaa
Author
27 Jun 2020 01:09 PM
आपके विचार में कोई संशय नही है…बहुत आभार ?
पूर्णरूपेण सत्य है, श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम अवश्य कहलाए किन्तु पत्नी के लिए सिर्फ एक पति बन कर रह गए।
धन्यवाद!
बहुत आभार ?