मुक्तक
सोचा ना था मैंने यारो मौसम ये छल जाएगा,
सावन-भादों की बारिश में घर मेरा जल जाएगा,
रंजोग़म की लम्बी रातें इतना मत इतराओ तुम,
निकलेगा कल सुख का सूरज अंधियारा टल जाएगा।
सोचा ना था मैंने यारो मौसम ये छल जाएगा,
सावन-भादों की बारिश में घर मेरा जल जाएगा,
रंजोग़म की लम्बी रातें इतना मत इतराओ तुम,
निकलेगा कल सुख का सूरज अंधियारा टल जाएगा।