मुक्तक
शिकायत नही तुमसे ना कोई गिला ,
मेरी क़िस्मत में था जो मुझको मिला,
चाँदनी रात शोलों सी अब जलाती बदन ,
भूला हुआ ख़्वाब सारा मेरा खिला ,
शिकायत नही तुमसे ना कोई गिला ,
मेरी क़िस्मत में था जो मुझको मिला,
चाँदनी रात शोलों सी अब जलाती बदन ,
भूला हुआ ख़्वाब सारा मेरा खिला ,