मुक्तक
आज ऐसे – ऐसे लोग कुर्सी पर तने मिले,
जिनके पूरे – पूरे हाथ खून मे सने मिले,
डाकु और वर्दियों की लाठी एक जैसी है,
संसद और चम्बल की घाटी एक जैसी है।
आज ऐसे – ऐसे लोग कुर्सी पर तने मिले,
जिनके पूरे – पूरे हाथ खून मे सने मिले,
डाकु और वर्दियों की लाठी एक जैसी है,
संसद और चम्बल की घाटी एक जैसी है।