मुक्तक
बीत गईं जॊ काली-काली, अंधियारी रातॊं कॊ छॊड़ॊ,
घर कॆ गद्दारॊं सॆ निपटॊ, बाहर वाली बातॊं कॊ छॊड़ॊ,
बलिदानी अमर शहीदॊं पर, गर्व करॊ तुम नाज़ करॊ,
युवा-शक्ति आगॆ आऒ, जन-क्रान्ति का आगाज़ करॊ।
बीत गईं जॊ काली-काली, अंधियारी रातॊं कॊ छॊड़ॊ,
घर कॆ गद्दारॊं सॆ निपटॊ, बाहर वाली बातॊं कॊ छॊड़ॊ,
बलिदानी अमर शहीदॊं पर, गर्व करॊ तुम नाज़ करॊ,
युवा-शक्ति आगॆ आऒ, जन-क्रान्ति का आगाज़ करॊ।