मुक्तक
उन सवालों को लेकर हम उदास कितने थे,
जवाब जिनके यहीं आसपास कितने थे,
हंसी, मज़ाक, अदब, महफ़िलें, शरारते,
उदासियों के बदन पर लिबास कितने थे।
उन सवालों को लेकर हम उदास कितने थे,
जवाब जिनके यहीं आसपास कितने थे,
हंसी, मज़ाक, अदब, महफ़िलें, शरारते,
उदासियों के बदन पर लिबास कितने थे।