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16 Feb 2018 · 1 min read

गीत : वसंत ऋतु

गीत : वसंत ऋतु
¤दिनेश एल० “जैहिंद”

बुलबुल गाए, कोयल कूके, पपीहा मचाए शोर ।
मैना चहके, मुर्गे के कूकने से अब हो जाए भोर ।।
बड़ी लुभावन सुबह दुआर आई रे……..
ऋतु वसंत फिर से बहार लाई रे ।।

सरसों फूलीं, तीसी फूली, फिर फूले डाली पलाश ।
नव फुनगी, नव पल्लव, नव मन के नवीन आश ।।
नूतन प्रेम के नूतन फुहार आई रे…….
ऋतु वसंत फिर से बहार लाई रे ।।

पुरवा बयार नव यौवना के लट उड़ाए बार-बार ।
वसंती का असर है ऐसा हो जिया जाए तार-तार ।।
तन-बदन पे गजब का खुमार लाई रे……
ऋतु वसंत फिर से बहार लाई रे ।।

मस्त मगन मन मोहिनी मुखड़ा ढूंढे जिया सुकुमार ।
अबके बरस तन हल्दी चढ़ि हर कुंवार करे इंतज़ार ।।
जागे जिया उम्मीद अब हजार आई रे……
ऋतु वसंत फिर से बहार लाई रे ।।

===============
दिनेश एल० “जैहिंद”
09. 02. 2018

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 318 Views

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