/– राम बनऽला में एतना तऽ..–/

/– राम बनला में एतना तऽ…–/
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माई-बाप कऽ बचनिया लेके ओढ़े के पड़ी
कुछहू कऽह देई केहू, मेहर छोड़े के पड़ी
———- राम बनऽला में एतना तऽ, करे के पड़ी
छोड़ऽल आपन तीर अपने के मोड़े के पड़ी
आपन अपने जनमऽले से लड़े के पड़ी
———- राम बनऽला में एतना तऽ करे के पड़ी —
उनके दुःखवा के सुनि-सुनि माथा धरे के पड़ी
बिरह अगिया में दिन-रात जरे के पड़ी
———- राम बनऽला में एतना तऽ करे के पड़ी —
दूनों अंखियन से आँसू ई केतनों गिरी
एगो जियरा के दुई फांट करे के पड़ी
———- राम बनऽला में एतना तऽ करे के पड़ी —
फूल जईसन ई देंहिया पाथर करे के पड़ी
कुंश कांटा में जिये खातिर मरे के पड़ी
———- राम बनऽला में एतना तऽ करे के पड़ी —
“चुन्नू”सरजू में समाधि लेके तरे के पड़ी
केहू लांक्षन लगाई, जियते मरे के पड़ी
———- राम बनऽला में एतना तऽ करे के पड़ी —
कुछहू कऽह ——————————
/— क़लमकार —/
चुन्नू लाल गुप्ता – मऊ (उ.प्र.)✍️