Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Jun 2017 · 3 min read

रमेशराज के विरोधरस के दोहे

क्रन्दन चीख-पुकार पर दूर-दूर तक मौन
आज जटायू कह रहा ‘सीता मेरी कौन‘?
+रमेशराज

बल पा ख़ूनी शेर का शेर बनें खरगोश
यही शेर ठंडा करे कल को इनका जोश |
+रमेशराज

चीर बढ़ाने के लिए नहीं उठेगा हाथ
दुर्योधन के साथ है अब का दीनानाथ |
+रमेशराज

करता खल की वन्दना, सज्जन को गरियाय
कौरव-कुल का साथ ही अब तो कवि को भाय |
+रमेशराज

अन्जाने भय से ग्रसित रहा निरंतर काँप
लगता आज विपक्ष को सूँघ गया है सांप |
+रमेशराज

लोकतंत्र में लोक की कर दी हालत दीन
पत्रकार बगुला बने, जनता जैसे मीन |
+रमेशराज

एक सुलगते प्रश्न को पूछ रहा है यक्ष
दुबक गया किस लोक में जाकर आज विपक्ष |
+रमेशराज

उत्पीड़न-अन्याय लखि नहीं खौलता रक्त
हम सब होते जा रहे रक्तबीज के भक्त |
+रमेशराज

देव-सरीखे ‘सोच’ की आफत में है जान
छल भोले को पा गया भस्मासुर वरदान |
+रमेशराज

होगी लघु उद्योग पर माना भीषण चोट
रोजगार देगा मगर, कल सबको रोबोट |
+रमेशराज

सदियों से जिसको मिली “ भाट “ नाम से ख्याति
न्यूज़-चैनलों पर दिखे इस युग वही प्रजाति |
+रमेशराज

अब तो अति मजबूत हैं कौरव-दल के हाथ
चक्रब्यूह को मिल गया पत्रकार का साथ |
+रमेशराज

जुटे यज्ञ करने यहाँ कुछ चैनल-अख़बार
बस जनता की दे रहे आहुतियाँ मक्कार |
+रमेशराज

जन-सेवक तेरे लिए लाये दारू-भाँग
इनसे कपड़े-रोटियां ओ जनता मत मांग |
+रमेशराज

अपनी कटती ज़ेब पर ये रहता है मौन
इस गूंगे युग को जुबां बोलो देगा कौन ?
+रमेशराज

सूरदास जैसे नयन हमको हैं बेकार
हम अंधे धृतराष्ट्र हैं , संजय ज्यों अख़बार |
+रमेशराज

शब्द-शक्तियों को किया अब सत्ता ने अंध
सम्प्रदाय की आ रही अब कविता से गंध |
+रमेशराज

धर्म-जाति की सब लिए हाथों में शमशीर
महंगाई से जो लड़े , दिखे न ऐसा वीर |
+रमेशराज

गोरे बन्दर की जगह काले बन्दर आज
इस आज़ादी पर करें कैसे भैया नाज़ |
+रमेशराज

चाल हमारे हाथ पर उसके हाथ रिमोट
गिरनी है अब सांप के मुँह में ही हर गोट |
+रमेशराज

सत्ता के उपहास को जनता जाती भूल
रोज मनाते आ रहे नेता अप्रिल-फूल |
+रमेशराज

दिए सियासी फैसले मुंसिफ ने इस बार
सुबकन-सिसकन से भरे जनता के अधिकार |
+रमेशराज

अब क्या होगा बोलिए शंकर भोलेनाथ
नेताजी को मिल गया पत्रकार का साथ |
+रमेशराज

तूने जो वादे किये मुकर गयी हर बार
राजनीति तेरा बता मुंह है या मलद्वार |
+रमेशराज

गुब्बारों से आलपिन जता रही है प्यार
क्यों न समझ आता तुझे सत्ता का व्यवहार |
+रमेशराज

हुआ आज सद्भाव का ज़हरीला मकरंद
देशभक्त कहने लगा अपने को जयचंद |
+रमेशराज

मीरजाफरों के लिए वक़्त हुआ अनुकूल
इनके हाथों में दिखें देशभक्ति के फूल |
+रमेशराज

पेट्रोल का साथ ले कहता है अंगार
मैं लाऊँगा मुल्क में अमन-चैन इस बार |
+रमेशराज

भक्तो लड्डू बांटिए प्रगट न कीजे खेद
हर नेता की हो गयी काली भैंस सफेद |
+रमेशराज

रक्तसनी तलवार सँग जिनके हैं अब ठाठ
सहनशीलता का हमें सिखा रहे हैं पाठ |
+रमेशराज

देशभक्ति के नाम पर प्रचलन में यह राग
सहनशील अब जल नहीं, सहनशील है आग |
+रमेशराज

हर गर्दन इस दौर में घोषित है गद्दार
सहनशील अब बन गये बस चाकू-तलवार |
+रमेशराज

पत्रकार का हो गया नेता से गठजोड़
दोनों मिलकर देश की बाँहें रहे मरोड़ |
+रमेशराज
—————————————————————
रमेशराज, 15/109, ईसानगर, अलीगढ़-202001
Mo.-9634551630

Language: Hindi
1 Like · 626 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

बलात्कार जैसे घृणित कार्य की दुर्भावना भारत जैसे देश में हाव
बलात्कार जैसे घृणित कार्य की दुर्भावना भारत जैसे देश में हाव
Rj Anand Prajapati
दीप
दीप
विशाल शुक्ल
"स्पन्दन"
Dr. Kishan tandon kranti
जन मन में बैठा है सुभाष भले नहीं है काया
जन मन में बैठा है सुभाष भले नहीं है काया
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*समय होता कभी अच्छा, कभी होता बुरा भी है  (हिंदी गजल)*
*समय होता कभी अच्छा, कभी होता बुरा भी है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
रिश्तों में...
रिश्तों में...
Shubham Pandey (S P)
कोई नाराज़गी है तो बयाँ कीजिये हुजूर,
कोई नाराज़गी है तो बयाँ कीजिये हुजूर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
लक्ष्य पाने तक
लक्ष्य पाने तक
Sudhir srivastava
कुछ मन्नतें पूरी होने तक वफ़ादार रहना ऐ ज़िन्दगी.
कुछ मन्नतें पूरी होने तक वफ़ादार रहना ऐ ज़िन्दगी.
पूर्वार्थ
तेरे होने का जिसमें किस्सा है
तेरे होने का जिसमें किस्सा है
shri rahi Kabeer
शहर को मेरे अब शर्म सी आने लगी है
शहर को मेरे अब शर्म सी आने लगी है
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
काम वात कफ लोभ...
काम वात कफ लोभ...
महेश चन्द्र त्रिपाठी
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मन में मातम हो कहीं,
मन में मातम हो कहीं,
TAMANNA BILASPURI
पहचान
पहचान
Mansi Kadam
"तुम कौन थे , क्या थे, कौन हो और क्या हो ? इसके बारे में कोई
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
"ज्ञानी प्रजा,नादान राजा"
कवि अनिल कुमार पँचोली
हिम्मत वो हुनर है , जो आपको कभी हारने नहीं देता।   नील रूहान
हिम्मत वो हुनर है , जो आपको कभी हारने नहीं देता। नील रूहान
Neelofar Khan
क्या कोई नई दुनिया बसा रहे हो?
क्या कोई नई दुनिया बसा रहे हो?
Jyoti Roshni
दीवार -
दीवार -
Karuna Bhalla
जब बार बार ठोकरें खाकर
जब बार बार ठोकरें खाकर
पूर्वार्थ देव
ई आलम
ई आलम
आकाश महेशपुरी
नहीं हो सकता, कोई तुम्हारे जैसा।
नहीं हो सकता, कोई तुम्हारे जैसा।
श्याम सांवरा
3987.💐 *पूर्णिका* 💐
3987.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
था जाना एक दिन
था जाना एक दिन
अमित कुमार
सोना  ही रहना  उचित नहीं, आओ  हम कुंदन  में ढलें।
सोना ही रहना उचित नहीं, आओ हम कुंदन में ढलें।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
बढ़ती जाती भीड़ निरंतर
बढ़ती जाती भीड़ निरंतर
Dhirendra Singh
ये हक़ीक़त ही बासबब होगी
ये हक़ीक़त ही बासबब होगी
Dr fauzia Naseem shad
कुल मर्यादा
कुल मर्यादा
Rajesh Kumar Kaurav
यक्षिणी-20
यक्षिणी-20
Dr MusafiR BaithA
Loading...