बढ़ती जाती भीड़ निरंतर

बढ़ती जाती भीड़ निरंतर
आस्था उमड़ रही संगम
कइयों को खो चुके हैं अब तक
और कितने खोएंगे हम
जीवन है अनमोल बहुत
संयम धीरज अपना लो
जहां समीप हो गंगा मैया
डुबकी चाहो वहीं लगा लो
बढ़ती जाती भीड़ निरंतर
आस्था उमड़ रही संगम
कइयों को खो चुके हैं अब तक
और कितने खोएंगे हम
जीवन है अनमोल बहुत
संयम धीरज अपना लो
जहां समीप हो गंगा मैया
डुबकी चाहो वहीं लगा लो