चली आनंद के पथ पर ,बनी मीरा कोई बाला( गीत) पोस्ट २२
चली आनंद के पथ पर
—————–( गीत )
चली आनंद के पथ पर बनी मीरा कोई बाला
ह्रदय यह हो रहा प्रमुदित।अभय यह हो रहा सुविदित।
चली जो मधुबनों से है, पवन से हो रहाहै हित।
भरा है फिर सुधा से यह हुआ था रिक्त जो प्याला ।चली आनंदके पथ पर बनी मीरा कोई बाला।।
गगन से छँट रही बदली, मगन मन हो रही पगली ।
तपन उर, दूर करने को, नयनसे धार है मचली
भक्तिरस की उसे जैसे,मधुर हो मिल गयी हाला
चली आनंदके पथ पर बनी मीरा कोई बाला ।।
मयूरी मन करे नृतन मधुप का हो रहा गुंजन।
मधुर शाश्वत सुमूल्योंका समय करने लगा मण्डन
दर्श, मोहनके पाकर अब शॉत मनकी हुई,ज्वाला।
चली आनंद के पथ पर बनी मीरा कोई बाला।।
—- जितेंद्रकमलआनंद