Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Oct 2016 · 1 min read

झूठ बहका,सच है महका

झूठ बहका,सच है महका
पाप के अंधकार में,
रोशनी का दीप कहता
था तेरा कभी, जो बोलबाला
छल से लिपटा, फकत एक सहारा
है आज मेरे कदमों में तू
छत विछत होकर है तूने
अपना सबकुछ गवाया
कल भी था, आज भी है चमका
हो आवरण घना मेघ सा
तिमिर को मिटाता
सूरज है निकला
हर वर्ष जलता है रावण
पर जुल्म आज भी सुलगता है
स्त्री शोषण हो या आतंकवाद
इस जहां में आज भी पनपता है
एक होकर आज फिर
एक युद्ध लड़ना है
जुल्म की इस राख को
पवित्र मिट्टी से,
पृथक करना है

-सोनिका मिश्रा

Language: Hindi
1 Like · 607 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

"रंग भले ही स्याह हो" मेरी पंक्तियों का - अपने रंग तो तुम घोलते हो जब पढ़ते हो
Atul "Krishn"
एक महान भविष्य के लिए एक महान अतीत की आवश्यकता नहीं होती है,
एक महान भविष्य के लिए एक महान अतीत की आवश्यकता नहीं होती है,
ललकार भारद्वाज
👰🏾‍♀कजरेली👰🏾‍♀
👰🏾‍♀कजरेली👰🏾‍♀
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
ओ मेरे दाता तेरा शुक्रिया ...
ओ मेरे दाता तेरा शुक्रिया ...
Sunil Suman
श्याम भयी न श्वेत भयी …
श्याम भयी न श्वेत भयी …
sushil sarna
शिक्षा एवं आजीविका
शिक्षा एवं आजीविका
Shyam Sundar Subramanian
मेरी हकीकत.... सोच आपकी
मेरी हकीकत.... सोच आपकी
Neeraj Kumar Agarwal
गर्म स्वेटर
गर्म स्वेटर
Awadhesh Singh
वर्तमान सरकारों ने पुरातन ,
वर्तमान सरकारों ने पुरातन ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
Practice compassionate self-talk
Practice compassionate self-talk
पूर्वार्थ
3775.💐 *पूर्णिका* 💐
3775.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
दृढ़ आत्मबल की दरकार
दृढ़ आत्मबल की दरकार
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
" हकीकत "
Dr. Kishan tandon kranti
16, खुश रहना चाहिए
16, खुश रहना चाहिए
Dr .Shweta sood 'Madhu'
मिल जाये
मिल जाये
Dr fauzia Naseem shad
समझाते इसको को हुए, वर्ष करीबन साठ ।
समझाते इसको को हुए, वर्ष करीबन साठ ।
RAMESH SHARMA
कविता
कविता
Nmita Sharma
स्कूल गेट पर खड़ी हुई मां
स्कूल गेट पर खड़ी हुई मां
Madhuri mahakash
#एक गुनाह#
#एक गुनाह#
Madhavi Srivastava
मुर्दे लोकतंत्र में
मुर्दे लोकतंत्र में
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
लड़ाई में भी परम शांति, निहित है,
लड़ाई में भी परम शांति, निहित है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*काले-काले बादल नभ में, भादो अष्टम तिथि लाते हैं (राधेश्यामी
*काले-काले बादल नभ में, भादो अष्टम तिथि लाते हैं (राधेश्यामी
Ravi Prakash
कृष्ण प्रेम की परिभाषा हैं, प्रेम जगत का सार कृष्ण हैं।
कृष्ण प्रेम की परिभाषा हैं, प्रेम जगत का सार कृष्ण हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
मधुमास
मधुमास
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
- मेरा जीवन हो गया अब पूर्णत साहित्य को समर्पित -
- मेरा जीवन हो गया अब पूर्णत साहित्य को समर्पित -
bharat gehlot
नए साल की मुबारक
नए साल की मुबारक
भरत कुमार सोलंकी
.
.
*प्रणय*
ग़ज़ल _ याद आता है कभी वो, मुस्कुराना दोस्तों ,
ग़ज़ल _ याद आता है कभी वो, मुस्कुराना दोस्तों ,
Neelofar Khan
Loading...