जो छला गया वो हिन्दू है...
जो छला गया, वो हिन्दू है…
हिन्दुत्व का दामन छलनी कर
प्रतिघात किया हिंदू हित पर,
लम्हा लम्हा जागीर लुटाया
नृप सत्ता स्वार्थ रस्में लेकर..
जिसने बांटा था गांव
और शहर शहर..
सब जान रहे,कौन दृग बिंदु है,
जो छला गया, वो हिन्दू है…
वेद पुराण गीता के बल पर ही ,
सत्य सनातन की पहचान रहा
तप त्याग अहिंसा के बल पर ही
प्रज्ञ,भूत भविष्य और वर्तमान रहा..
जिसने किया अपमानित था ..
डगर डगर…
सब जान रहे कौन दृग बिंदु है,
जो छला गया, वो हिन्दू है…
गुरुकुल शिक्षा संस्कारी थे
शिष्य दूर देश के भी अधिकारी थे,
पाते थे जब संजीवनी विद्या,
वो मुर्दों में भी प्राण संचारी थे…
बरपाया किसने था
कहर कहर..
सब जान रहे कौन दृग बिंदु है,
जो छला गया, वो हिन्दू है..
तिहूँ ओर समुन्दर नीला है
सीमा पार व्याल जहरीला है,
फन फैलाये विष से भरा हुआ
वो कहता दशन नुकीला है…
साजिशें रचता वो
पग पग पर…
सब जान रहे कौन दृग बिंदु है,
जो छला गया, वो हिन्दू है..
देखो ना पंथ है कौन किसका
देखो ना जात है कौन किसका,
हो वृहद अखंडित हिंद की सीमा
सब जन हिन्दू ,भारत है जिनका..
रक्षा करना है अब
प्रहरी बनकर…
है अब राष्ट्रपहरी जो हिन्दू हैं..
अब कहो गर्व से, हम हिन्दू है..
जो छला गया था, वो हिन्दू है..
“मौलिक एवं स्वरचित”
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि –१३/१२/२०२५
पौष ,कृष्ण पक्ष,नवमी, शनिवार
विक्रम संवत २०८२
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