जानकी
⚔️ जानं की रक्षा, अब स्वयं कीजिए जानकी ⚔️
• धर्म का भेष लिए, ये अधर्मी खड़े हैं,
पहचान पाओगी न, ये पापी बड़े हैं।
मासूमों की ज़िंदगियों से ये खेल रचाएं,
असुर बन के, हर कोने को भय से सजाए।
⚔️ जानं की रक्षा, अब स्वयं कीजिए जानकी ⚔️
ना ये त्रेता है, जहाँ जनक सा पिता पाओगी,
ना ये द्वापर है, जो कृष्ण सा भ्रात पाओगी।
ये कलियुग है सखी, न तुम देव पाओगी,
हर मनुष्य में छिपा एक असुर पाओगी।
⚔️ जानं की रक्षा, अब स्वयं कीजिए जानकी ⚔️
माना तुम मासूम हो, गुड़िया से है खेल तुम्हारे,
दुर्गा तुम में वास करे और काली भी है रूप तुम्हारे।
जननी हो तुम इस ब्राह्माण्ड की, विध्वंस तुम्हारे हाथों में,
प्रेम में तुम राधा सी कोमल, कोध् में काली बन प्रलय आरम्भ करो।
⚔️ जानं की रक्षा, अब स्वयं कीजिए जानकी ⚔️
By ~ ɪsʜᴀ sɪɴɢʜ ʏᴀᴅᴜᴠᴀɴsʜɪ [ ʏᴀᴅᴀᴠɪ ]