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1 Sep 2025 · 1 min read

सोचिएगा _

सोचिएगा _
चाय एक नशा है ,
इसकी निर्धारित समय में
तलब लगती है ।
क्या ऐसे ही _
पठन पाठन की भी तलब लगती है ।
यदि किसी के साथ ऐसा है तो उसे आप
“चिंतनशील मानव” की श्रेणी में रख रखते है ।
राजेश व्यास अनुनय

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