खो जाना चाहता हूँ
सब अपनी दुनिया के
राजा रानी हैं
निरर्थक ही होगा
किसी को
अपने बंधन में बांधना
नहीं भाता
पल पल बदलते
अपनों के चेहरे
मतलब की यारियां
ऊंचे ओहदे के रिश्तेदारियां
ये झूठा अपनापन
बहुत
दूर जाना चाहता हूं
कहीं
खो जाना चाहता हूं
अनजानी राहों पे
अनजाना सफ़र पे
मोह माया से परे
किसी अजनबी गाँव में
सुकून है बस
खुद की
नीम सी छांव में
✍️ दुष्यंत कुमार पटेल