सुनहरे पल और वो मीठी यादें

सुनहरे पल और वो मीठी यादें
वो सुहरे पल, वो मीठी यादें।
चंदा की चांदनी, वो प्यारी बातें।।
अद्भूत अनोखी बहुमूल्य मुलाकातें।
सच्ची साधना भक्ति हो गहरी बातें।।
उदय हुई चांदनी सूरज ढलका।
मारामारी, भागमभाग चैन नहीं एक पल का।।
मदमस्त निशा नशा रहे हल्का-हल्का।
नृत्य करे मन मोर हर पल पल का।।
शांत जंगल कल-कल करती नदियां झरने।
ठण्डी पवन आई है, हृदय में उमंग भरने।।
आषाढ़ सावन में बादल बरसाते।
चहके पक्षी गीत खुशी के गाते।।
शीतल पवन करे ठिठोली आते-जाते।
पल-पल बीते खुशी से यूं ही गीत गाते।।
घनघोर घटा काली गरजे बादल।
फैल जाए नीली आंखों का काजल।।
कहें मस्तानी पवन आ तू भी संग चल।
देखा जाएगा जो होगा कल, छोड़ बैचेनी के पल।।
चांदनी रात टिमटिमाते तारे।
गुप्त भेद की गुत्थी सुलझा रे।।
देख ऐसा अद्भूत सौन्दर्य, ना नैना हारे।
कट जाए दिन-रात, देख-देख ये नजारे।।
शीतल मस्त पवन करे ठिठौली।
कहती आती-जाती, मैं तेरी हमजौली।।
पगली अनजानी, तूं है भोली-भोली।
सावन भिगोए तन-मन, भिगोए मेरी चोली।।
जीवन जीना, पूरे होशहवाश।
पवित्र बनकर, हृदय में भर प्रेम सुवास।।
आगमन दिव्यता का, बने कुछ खास।
निर्माण ही निर्माण, नहीं कुछ भी त्रास।।
उदय हुआ भानू पूर्व प्रभात से।
दिन निकल आया, ज्ञात हुआ पक्षियों की चहचहाट से।।
ब्रह्माण्ड में चहकते फिरते पंछी चंचल।
झरनों का पानी बहे करते कलकल।।
हृदय जगत में मचने लगी है हलचल।
हर तरफ बसन्त जैसा कहीं सुखा ना दलदल।।
डॉ. सुरेश कुमार
राजकीय महाविद्यालय सांपला
रोहतक (हरियाणा)