“महक” ग़ज़ल

ज्यूँ हो सहरा मेँ, कोई दूर, सराबोँ की तरह,
उससे मिलना भी तो होता है अब ख़्वाबों की तरह।
कमी नहीं है, हसीनों की, मानता हूँ, भले,
जहाँ मेँ कौन है पर, उसके शबाबोँ की तरह।
उफ़ वो उलझी हुई सी ज़ुल्फ़, वो नज़रे-क़ातिल,
चाल मेँ उसकी, रवानी है, चिनाबोँ की तरह।
तपिश का दौर है, बेज़ारे-तिश्नगी-ए-अहद,
कभी वो मुझपे बरस जाएं, सहाबोँ की तरह।
धरी ही रह गई, फ़ेहरिस्ते-सवालात मिरी,
दिल दुखाता है कौन, उसके जवाबों की तरह।
खो दिया क्या, या मिला क्या, बयाँ करूँ कैसे,
इश्क़ होता भी कब है, ऐसे हिसाबों की तरह।
अश्क़ उसके हैं, सो अज़ीज़ हैं, दिल से मुझको,
उसका ग़म, उसका तग़ाफ़ुल है, ख़िताबोँ की तरह।
तरस गया हूँ, मुद्दतों से, दीद को उसकी,
कहाँ है पैरहन भी, उसके हिज़ाबोँ की तरह।
हरेक क़ता मेँ, रुबाई मेँ, अक्स है उसका,
जिस्म उसका है, अनपढ़ी सी किताबों की तरह।
याद में उसकी, जो लिख दूँ कोई ग़ज़ल “आशा”,
महक उठते हैं, मिरे लफ़्ज़, गुलाबों की तरह..!
सराब # मृग मरीचिका, mirage
चिनाब# भारत और पाकिस्तान में बहने वाली एक नदी, chenaab,a river flowing in India and Pakistan
बेज़ारे-तिश्नगी-ए-अहद # एक बहुत लम्बे अन्तराल से प्यास से परेशान, aggrieved due to thirst from a pretty long duration
सहाब # बादल, घटा आदि, cloud
फ़ेहरिस्ते-सवालात# प्रश्नों की सूची, list of questions
तग़ाफ़ुल# नज़रन्दाज़ करना, to neglect
ख़िताब # उपाधि, पदवीआदि, title
पैरहन # लबादा, चोला आदि a long dress, gown etc.
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