**** गणगौर की बेला ****

आई गणगौर की बेला
जनजन का लगा है मेला
बैठी सखियां मेंहदी लगाये
झूमे, नाचें,आज गीत गायें
शिव गौरा रूप गणगौर है
खुशहाली आई चहुंओर है
गणगौर का मुखड़ा प्यारा
साजे सुंदर रूप न्यारा
गणगौर को हस्त में थामे
नर नारी झूमे और गायें
नूतन मंगल से गीत सुनायें
गौरा का जयकारा लगायें
सुहागन करें सौभाग्य कामना
कुमारी करे स्वामी याचना
गौरी मां को प्रसन्न करना
पूजा पाठ से आशीष धरना
चैत्र मास की ये तिथि तृतीया
गौरा आई संग लेके पिया
सुहागन सी सुंदर सजायें
आओ सखी गणगौर मनायें।।
✍🏻” कविता चौहान ”
स्वरचित एवं मौलिक