****सूनी फुलवारी****
सबसे सुंदर पुष्प चुन लाई
रंगत उसकी अनोखी पाई
उपवन में न था कोई माली
सूनी हुई तरु की डाली
फुलवारी में सुमन निराले
कुछ लाल कुछ गहरे काले
छंटा उसकी सबसे अनुपम थी
चमक रही बूंद शबनम थी
रमणीय बन वो मन में छाया
मोहक छवि लेके हिय समाया
देख रम्यता नयन थे ठहरे
मधु को आये सैंकड़ों भंवरे
छोड़ा चमन तब गुल सिहरा
सुमन प्रिय डाली से बिछड़ा
विरह पीड़ा से दिल भर आया
खोकर रम्य कांति मुरझाया
पात पात बिखर गये पथ में
ना रहा कोई वजूद जग में
बिखरते बिखरते मुसकाया
कोई न जब अपना पाया।।
✍🏻 “कविता चौहान”
स्वरचित एवं मौलिक