राम

कभी जलधि के सम्मुख तनकर क्रोध अग्नि से निखरे राम
जंघा पर रख अनुज शीश को बिलख बिलख कर बिखरे राम
यूं ही नहीं हुए पुरुषोत्तम, थीं पग पग कठिन परीक्षाएं
प्रण को पूर्ण किया राघव ने, नहिं निज वादों से मुकरे राम
– हरवंश हृदय
बांदा, उत्तर प्रदेश