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25 Mar 2024 · 1 min read

होली के नटखट दोहे :

होली के नटखट दोहे :

नटखट नैनों ने किया, कुछ ऐसा हुड़दंग।
नशा रूप का यूँ चढ़ा, पीछे छूटी भंग ।1।

साजन लेकर हाथ में, आये आज गुलाल।
बाहुबंध में शरम से, लाल हो गए गाल।। २

अधरों पर शोभित हुई, नटखट सी मुस्कान।
रंगों ने तन पर लिखी, रिश्तों की पहचान।। ३

गौर वर्ण पर रंग ने, ऐसा किया धमाल।
भीगे वसन ने कर दिया, रिन्दों को बेहाल ।।4

प्रेम प्यार का राग है, होली का त्योहार ।
देह -देह पर हो रही, रंगों की बौछार ।।5

होली का त्यौहार है, रिश्तों की मनुहार।
मन मुटाव को भूल कर,गले मिलें सौ बार।।6

संयत होली खेलिए, रहे सुरक्षित चीर।
ऐसा कर्म न कीजिए, बहे आँख से नीर।।7

मचले- मचले मनचले, मचली उनकी चाल ।
धरती अंबर कर दिए, लाल रंग से लाल।।९

होली पर मत कीजिए, कोई ऐसी बात।
जीवन भर के दर्द का, बन जाए आघात।।10

मनमुटाव पर डालिए, अपनेपन का रंग।
मिटे न मिलने की कभी, सारी उम्र उमंग।।11

बार- बार आता नहीं, होली का त्यौहार ।
प्रेम सुवासित दीजिए, रंगों का उपहार।।12

होली के त्यौहार पर ,इतना रखना ध्यान।
नारी का अक्षत रहे ,रंगों में सम्मान।।13

होली पर मत कीजिए, कोई ऐसी बात।
जीवन भर के दर्द का, बन जाए आघात।।14

नशा रूप का यूँ चढ़ा, पीछे छूटी भंग ।
मस्ती में फिर क्या खबर, कहाँ लगाया रंग ।।15

सुशील सरना / 25-3-24

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