Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jan 2024 · 2 min read

रात स्वप्न में दादी आई।

★★★★★★★★★★★★★★★★★★
कभी न दादी को है देखा।
ऐसी क्यों किस्मत की रेखा।
मगर स्वप्न में मिलने आती-
आज लिखूँ मैं उसकी लेखा।
★★★★★★★★★★★★★★★★★★
श्वेत सुनहरी साड़ी पहने, रात स्वप्न में दादी आई|
चूम-चूम कर माथा मेरा, मुझसे कितना लाड-लडाई|

अधरों पर मुस्कान लिए थी, गालों पर छायी थी लाली|
माथे पर साटे थी बिंदी, झूल रही कानों में बाली|
स्वप्न लोक से आई जैसे, सुंदर सी कोई शहजादी|
मैने पूछा आप कौन हैं,हँसकर बोली “तेरी दादी”|
आँचल को लहरा कर अपने, मधुकर गीत सुरीली गाई|
श्वेत सुनहरी साड़ी पहने, रात स्वप्न में दादी आई|

जादू की झप्पी देकर वो, बोली चुप कर गुड़िया रानी|
साथ सदा मैं रहती तेरे, आँखों से क्यों बरसे पानी|
तू मेरे अखियों की तारा, निडर सदा तुम आगे बढ़ना|
कठिन परिश्रम से तुम गुड़िया, सच्चाई की सीढी़ चढ़ना|
गोद बिठाकर मुझसे बोली,देखो रबड़ी हूँ मैं लाई|
श्वेत सुनहरी साड़ी पहने, रात स्वप्न में दादी आई|

रबड़ी खाकर के खुश होकर, ढेरों करती उन से बातें|
कही कहानी बीते पल की, गुज़र गई जो हँसती रातें|
परी लोक की सुंदर-सुंदर, मुझे सुनाई कितनी गाथा|
तभी अचानक चली गई वो, सहलाकर के मेरा माथा|
आँख खुली वो सपना टूटा, मिली नहीं उनकी परछाई|
श्वेत सुनहरी साड़ी पहने, रात स्वप्न में दादी आई|

मैं दादी की फोटो लेकर, सुबक- सुबक कर कितना रोई|
मम्मी की गोदी में जाकर, उनकी बातों में मैं खोई|
मैने दादी माँ को देखा, या देखा था उनका साया|
मगर खुशी से भरी हुई थी, स्वप्न लोक की अद्भुत माया|
काश स्वप्न की बातें सारी, बन जाती मेरी सच्चाई|
श्वेत सुनहरी साड़ी पहने, रात स्वप्न में दादी आई|
वेधा सिंह

Language: Hindi
Tag: गीत
148 Views
Books from Vedha Singh
View all

You may also like these posts

“दूल्हे की परीक्षा – मिथिला दर्शन” (संस्मरण -1974)
“दूल्हे की परीक्षा – मिथिला दर्शन” (संस्मरण -1974)
DrLakshman Jha Parimal
अनैतिकता से कौन बचाये
अनैतिकता से कौन बचाये
Pratibha Pandey
ये आंखें जब भी रोएंगी तुम्हारी याद आएगी।
ये आंखें जब भी रोएंगी तुम्हारी याद आएगी।
Phool gufran
जिस तौर भी कट रही वो ज़िंदगी तेरे नाम पर
जिस तौर भी कट रही वो ज़िंदगी तेरे नाम पर
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*श्री शक्तिपीठ दुर्गा माता मंदिर, सिविल लाइंस, रामपुर*
*श्री शक्तिपीठ दुर्गा माता मंदिर, सिविल लाइंस, रामपुर*
Ravi Prakash
विषधर
विषधर
Rajesh
तकनीकी की दुनिया में संवेदना
तकनीकी की दुनिया में संवेदना
Dr. Vaishali Verma
कुटिया में कुटिया बनवाना ,आप कहें अच्छा है क्या ?
कुटिया में कुटिया बनवाना ,आप कहें अच्छा है क्या ?
अवध किशोर 'अवधू'
यादों की सुनवाई होगी
यादों की सुनवाई होगी
Shweta Soni
भारत जनता उर बसे
भारत जनता उर बसे
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
सो
सो
*प्रणय*
- उपमा -
- उपमा -
bharat gehlot
जीवन और जिंदगी
जीवन और जिंदगी
Neeraj Agarwal
3976.💐 *पूर्णिका* 💐
3976.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
मुश्किल है जीवन का सफर
मुश्किल है जीवन का सफर
Chitra Bisht
हुनर
हुनर
Shutisha Rajput
दोहा पंचक. . . . जीवन
दोहा पंचक. . . . जीवन
Sushil Sarna
** जिंदगी  मे नहीं शिकायत है **
** जिंदगी मे नहीं शिकायत है **
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
पड़ जाएँ मिरे जिस्म पे लाख़ आबले 'अकबर'
पड़ जाएँ मिरे जिस्म पे लाख़ आबले 'अकबर'
Dr Tabassum Jahan
दोहा त्रयी. . .
दोहा त्रयी. . .
sushil sarna
गुमशुदा
गुमशुदा
Rambali Mishra
#ਇੱਕ ਨਾਲ ਇੱਕ ਰਲਸੀ ਫਿਰ ਵੀ ਇੱਕ ਹੋਸੀ
#ਇੱਕ ਨਾਲ ਇੱਕ ਰਲਸੀ ਫਿਰ ਵੀ ਇੱਕ ਹੋਸੀ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
" खास "
Dr. Kishan tandon kranti
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
*नव वर्ष का अभिनंदन*
*नव वर्ष का अभिनंदन*
Santosh kumar Miri
* पावन धरा *
* पावन धरा *
surenderpal vaidya
आप कितना ही आगे क्यों ना बढ़ जाएँ, कोई ना कोई आपसे आगे रहेगा
आप कितना ही आगे क्यों ना बढ़ जाएँ, कोई ना कोई आपसे आगे रहेगा
ललकार भारद्वाज
मुकाम जब मिल जाए, मुकद्दर भी झुक जाता है,
मुकाम जब मिल जाए, मुकद्दर भी झुक जाता है,
पूर्वार्थ
फरेब की इस दुनिया से, मानो जी ही भर गया।
फरेब की इस दुनिया से, मानो जी ही भर गया।
श्याम सांवरा
मुमकिन नहीं.....
मुमकिन नहीं.....
पं अंजू पांडेय अश्रु
Loading...