रोग हानिकारक होत है !

रोग ,ये हानिकारक होत है!
बोझ से अधिक,मानसिक बोझ सोच है,
पीड़ा , भय, अनिद्रा,अशांति,और तनाव अनेक है,
ये रोग भी भारी दुःख है ।
रोगी बन जाता है वो जीव ,
जीवन ढ़ोता है जो नश्वर शरीर,
शरीर से तो सब जुड़े हुए है ,रोग दुःख,
कैसे करें इनको दूर जानो, पहचानो और अपना लो।
सारी समस्या जुड़ी होती ,
वात पित्त और कफ से,
जीवाणु विषाणु आदि होते दुष्ट,
करते है स्वस्थ व्यक्ति को अस्वस्थ बना देते मरीज।
कितने तरह के रोग तुम पाओगे जग में,
ज्वर,सर्दी,जुकाम–खांसी,दस्त, पेंचिस,पीलिया आदि,
मौसम में हो जाती अचानक से हानि,
रोधक क्षमताओं को कम करके होते है हावी।
वैद्य,आचार्य, डॉक्टर और हकीम ,
परामर्श दाता है ये ईश्वर स्वरूप,
हर तरह से करते है रोग मुक्त होने की कोशिशें,
कामयाबी में अपना भी करना होता योगदान।
देख रेख, साफ सफ़ाई,रखनी होती है आस पास,
बचना होता मास्क लगा कर ,छींक न आए पास,
समय समय पर खाओ दवा,
होती भले थोड़ी कड़वी।
हरी सब्जियाँ और फल को न भूलो,
दुग्ध भी है पौष्टिक आहार,
स्वस्थ रहो,रोग मुक्त रहो,
लड़ के रोगों से अपना कष्ट दूर करो।
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा
हमीरपुर।