चलो! स्वयं के दोस्त बनें

खुद अपनी खुशियों का स्रोत बनें
चलो स्वयं के दोस्त बनें
यह दुनियाँ बस मोह माया है
यहाँ अपना भी पराया है
सब छोड़ छाड़ एकांतवास में
आओ स्वयं की खोज करें
चलो स्वयं के दोस्त बनें
जब मन थोड़ा बैचैन लगे
हम खुद ही खुद को समझालें
दूर कहीं अश्रु बारिश में
हम मंद मंद सा मुस्कालें
कुछ आगे बढ़ने की सोचें
कुछ आओ गहरी सोच बनें
चलो स्वयं के दोस्त बनें
…. भंडारी लोकेश