नित्य रहो़ं रत साधना, त्याग सभी संताप।

नित्य रहो़ं रत साधना, त्याग सभी संताप।
स्वेदयुक्त ले भाल को, त्यागे जगत विलाप।।
उपासना श्रम की करो, कर्म बने आधार।
अभिधा ने तो रच दिया, जाति युक्त संसार।।
संजय निराला
नित्य रहो़ं रत साधना, त्याग सभी संताप।
स्वेदयुक्त ले भाल को, त्यागे जगत विलाप।।
उपासना श्रम की करो, कर्म बने आधार।
अभिधा ने तो रच दिया, जाति युक्त संसार।।
संजय निराला