एक चादर 6 फुटी

डॉ अरूण कुमार शास्त्री एक अबोध बालक अरूण अतृप्त
जिन्दगी में चादर का सम्मान करना चाहिए।
बिछाने वाली अपनी जगह ओढ़ने वाली अपनी जगह।
लेकिन उसके बरताव में एक सम्मान होना चाहिए।
सिकुड़ जाना चादरों का स्वभाव भी है और मज़बूरी भी।
इनकी कृत्रिम रचना से आपको समभाव रखना चाहिए।
फटी चादर से झलकता जिस्म पुरुष का कोई क्रांति कारी प्रतिक्रिया नहीं देगा।
यही जिस्म औरत का हो यदि पुरुष के स्थान पर तो फिर बबाल होना चाहिए।
जितनी चादर हो आपकी , आपकी औकात भी उतनी मानी और जानी जायेगी ।
अपने पैरों को उसी के अनुसार रखना चाहिए।
निकलते पैर चादर से फजीहत का सामान बन जाएंगे साहिब ।
कब करा दें ये फलूदा इज़्ज़त का ये हम नहीं आपको खुद ही पता चल चलवाएंगे।
जिन्दगी में चादर का सम्मान करना चाहिए।
बिछाने वाली अपनी जगह ओढ़ने वाली अपनी जगह।
लेकिन उसके बरताव में एक सम्मान होना चाहिए।
सिकुड़ जाना चादरों का स्वभाव भी है और मज़बूरी भी।
इनकी कृत्रिम रचना से आपको समभाव रखना चाहिए।
चादरों का काम सिर्फ़ एक ही होता है, बिछा लीजिए या फिर ओढ़ लिजिए जैसी मर्ज़ी।
कभी कभी अप्रत्यक्ष हालात में इनकी बनानी पड़ती है लुंगी।
खादी की हो मलमल की हो , मखमल की हो या कें फलालेन की या फिर जॉर्जट की ।
अपनी , अपनी शान को समर्पित इनका सामाजिक साहित्यक व्यक्तिगत व्यवहार होना चाहिए।
चादर मैली हो तो धो लीजिए एक हो तो फिर उस रात बिना चादर के सो लीजे।
स्वच्छ चादर सफाई अभियान के तहत आपकी शान होनी चाहिए।
जिन्दगी में चादर का सम्मान करना चाहिए।
बिछाने वाली अपनी जगह ओढ़ने वाली अपनी जगह।
लेकिन उसके बरताव में एक सम्मान होना चाहिए।
सिकुड़ जाना चादरों का स्वभाव भी है और मज़बूरी भी।
इनकी कृत्रिम रचना से आपको समभाव रखना चाहिए।