खूब भलाई कीजिए

कुण्डलिया
~~~~
खूब भलाई कीजिए, जीवन में हर बार।
और दीजिए हर जगह, सेवा का उपहार।
सेवा का उपहार, सनातन धर्म यही है।
ऋषि मुनियों ने बात, हमेशा सत्य कहीं है।
कहते वैद्य सुरेन्द्र, कर्म ने राह दिखाई।
पुण्य कार्य अति श्रेष्ठ, कीजिए खूब भलाई।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
देखा करते लोग हैं, अपना ही हित लाभ।
जिसे देख आती सहज, नयनों में है आभ।
नयनों में है आभ, कभी उपकार न करते।
लिए स्वार्थ की सोच, नित्य हैं आगे बढ़ते।
कहते वैद्य सुरेन्द्र, लोभ की लांघें रेखा।
बदलें अपनी सोच, करें जनहित भी देखा।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य