हम भी अकेले, तुम भी अकेले

हम भी अकेले, तुम भी अकेले, हम वक़्त अपना कैसे बिताये।
खामोश ऐसे तुम ना रहो, कोई तरीका आप इसका बताये।।
हम भी अकेले, तुम भी अकेले——————–।।
देखो जरा तुम वह उधर, वो फूल कैसे महक रहे हैं।
चहक रही है कैसे वो कलियाँ, गुंजन भँवरें कर रहे हैं।।
ऐसे ना हमसे कुछ तुम छुपाओ, राज हमें आप इसका बताये।
हम भी अकेले, तुम भी अकेले———————।।
देखो,ये राहें कितनी अजीब है, मालूम नहीं कहाँ मंजिल है इनकी।
लगते हैं सुंदर कितने वो पर्वत, लेकिन हकीकत क्या है उनकी।।
हमको मगर अब जाना कहाँ है, मंजिल अपनी आप हमको बताये।
हम भी अकेले, तुम भी अकेले——————–।।
मानो हमें चाहे तुम अजनबी, अनजान हमसे तुम फिर भी नहीं।
चाहे करो तुम हमसे यूँ परदा, शिकायत हमें कोई इससे नहीं।।
नाराज तुम हमसे होना नहीं, गर बात दिल की हम तुमको बताये।
हम भी अकेले, तुम भी अकेले——————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)