#मुक्तक-

#मुक्तक-
■ वो लम्हे फिर नहीं आते!!
【प्रणय प्रभात】
गले लगते-लगाते हैं, गले पड़ते नहीं सुन लो,
हमारे जैसे बन्दे हर किसी के सिर नहीं आते।
अभी भी वक्त है इस वक्त की थोड़ी क़दर कर लो,
जो लम्हे बीत जाते हैं वो लम्हे फिर नहीं आते।।
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#कथ्य-
आपको यह जान कर ताज्जुब होगा कि इस मुक्तक की तीसरी पंक्ति के अलावा बाक़ी तीनो पंक्तियाँ गहरी नींद के दौरान अवचेतन मन से उपजीं। आज दोपहर।।
-सम्पादक-
न्यूज़&व्यूज (मप्र)
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