बेटी की संवेदना

चंचल मन की सभी ठिठोली गम्भीर विषय बन बैठी हैं
अपवाहों की सभी रंगोली विस्मृत रहस्य बन बैठी हैं
किन बातों कि किन विषयों पर मन मंथन कर बैठी हैं
अल्प आय के अल्प समय में बड़ी जतन कर बैठी हैं
गुड़ियाँ गुड्डे खेल खिलौने यादें सारी दफ़न हुई हैं
महके चहके आँगन जिससे मानों वह अब कफ़न हुई हैं
हँसी ठिठोली पुरवी गीतें छोड़ी मानों मौन वरण कर बैठी हैं
अल्प आय के अल्प समय में बड़ी जतन कर बैठी हैं
अगहन – माघ खेत हरियाली ज्येष्ठ धूप में जरी हुई हैं
बात – बात पे प्रश्न करें वह मूक वाक् से भरी हुई हैं
विश्व वरण करने वाली मानों आशा सारी मरण कर बैठी हैं
अल्प आय के अल्प समय में बड़ी जतन कर बैठी हैं