नहीं, अब नहीं,———–मैं

नहीं अब नहीं, ऐसा करता नहीं मैं।
किसी के लिए, कुछ सोचता नहीं मैं।।
नहीं अब नहीं———————–।।
यहाँ पाप है, कुछ करना अच्छा।
यहाँ हारता है, जिसका दिल है सच्चा।।
नेकी के बदले, मुझ पर सितम हुए हैं।
शर्म कोई भी अब, करता नहीं मैं।।
नहीं अब नहीं———————।।
मोहब्बत जिससे की, अपना समझकर।
सींचा लहू से जिसको, बगिया समझकर।।
उसी ने किया है, मेरे इस दिल का खून।
किसी के दुःख से अब, दुःखी होता नहीं मैं।।
नहीं अब नहीं———————–।।
चाहते हैं सब यहाँ, आबाद होना।
चाहता नहीं मैं भी, बर्बाद होना।।
मतलब मैं भी, खुद से ही रखूँगा।
गर्दिश में जीना अब, चाहता नहीं मैं।।
नहीं अब नहीं———————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)