ज़बरी क़ब्जा की गई जमीं पर सजदा ही नाजायज़ है,

ज़बरी क़ब्जा की गई जमीं पर सजदा ही नाजायज़ है,
नाजायज़ को जायज़ कहना नाजायज़ है,नाजायज़ है,
अरबी, तुर्की, मुगल नही हो इस सच को स्वीकार करो,
इन नफ़रत की मीनारों को खुद के हाथों मिस्मार करो,,
ज़बरी क़ब्जा की गई जमीं पर सजदा ही नाजायज़ है,
नाजायज़ को जायज़ कहना नाजायज़ है,नाजायज़ है,
अरबी, तुर्की, मुगल नही हो इस सच को स्वीकार करो,
इन नफ़रत की मीनारों को खुद के हाथों मिस्मार करो,,