दिल का दर्द आंखों से निकलने लगता है

दिल का दर्द आंखों से निकलने लगता है
जब कोई रास्तों में रास्ता बदलने लगता है
सब कुछ होता नहीं किस्मत के भरोसे पर
हवा चलने लगती है दिया जलने लगता है
कवि दीपक सरल
दिल का दर्द आंखों से निकलने लगता है
जब कोई रास्तों में रास्ता बदलने लगता है
सब कुछ होता नहीं किस्मत के भरोसे पर
हवा चलने लगती है दिया जलने लगता है
कवि दीपक सरल