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5 Oct 2024 · 1 min read

*मनः संवाद—-*

मनः संवाद—-
05/10/2024

मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl

समय बदलना अब सीखो, अपने निज पुरुषार्थ से, समय धार को मोड़।
जो भी अब तक कार्य रुके, उनको अब प्रारम्भ कर, नई दिशा पर छोड़।।
अपनी ऊर्जा संचित कर, अनुभव को मजबूत रख, मिथक कथन सब तोड़।
आज अभी शुभ समय समझ, करो सुनिश्चित लक्ष्य को, स्वयं से नाता जोड़।।

वे धागे सदा उलझते, लंबे जो हों अत्यधिक, उनको रखो लपेट।
अपनी लंबी जुबान को, करो नियंत्रित बावरे, कम में इसे समेट।।
नींद उड़ा दे जो सपने, हो अरूचि भोजन समय, उनसे करना भेट।
बाज बनो जब लक्ष्य मिले, और दिखाओ तीब्रता, पंजे रखो झपेट।।

— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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