वही जिसका पैसा बोलता है वो न जाने क्या क्या बोलता है

वही जिसका पैसा बोलता है वो न जाने क्या क्या बोलता है
जिसको होती है प्यास पानी की ,उसका सलीका बोलता है
जिगर की चोट सिखाती है,सभा में बोल का हुनर अक्सर
कई हो जाते हैं खिलाफ जो महफ़िल में अकेला बोलता है
✍️कवि दीपक सरल