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13 Nov 2024 · 1 min read

पल्लव से फूल जुड़ा हो जैसे…

तुम खयालों में आए,
आए भी तो छुप छुप कर।
नींद क्यों उड़ाते हो रातों की,
कभी सामने तो आओ हक़ीक़त बन कर।
तुम्हें पाने की तमन्ना कुछ यूं है,
दर्द–ए–दिल बयां करे भी तो कैसे।
बेचैन रहती हूँ हरदम,
कस्तूरी लगा हो मृग हो जैसे।
देखो! गर मुझसे जुड़ो तो जुड़ना,
पल्लव से फूल जुड़ा हो जैसे।
ओर साथ रहो तो रहना,
रहे “मधुशाला” से “बच्चन” जैसे।।

शिवम् सहज

Language: Hindi
50 Views

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