भोली बाला

भोली बाला
भोली बाला ले चली, अब पूजा का थाल।
सुंदर श्यामल तन लिये, नागिन जैसे बाल ।
नागिन जैसे बाल, कोकिला जैसी बोली।
स्वच्छ दंतिका धवल,चली सखियों की टोली ।
कहें प्रेम कविराय,बिहँसि मारें सब गोली।
अधरों पर मुस्कान ,लाज से सिमटी भोली।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम