यादें
***** यादें (गीत) ******
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यादें जब मन को भाती हैं,
तब गीत खुशी के गाती हैं।
तन्हाई तन – मन है छाई,
साथ न दे खुद की परछाई,
आँखें आंसू बरसाती हैं।
यादें जब मन को भाती हैं।
सहन न होती है रुसवाई,
जब अपने बनते हरजाई,
रौनक सारी उड़ जाती है।
यादें जब मन को भाती हैं।
मनसीरत मन मोती मंदिर,
दिल दरिया रुदन सा अंदर,
खुद ही खुद से शरमाती है।
यादें जब मन को भाती हैं।
यादें जब मन को भाती है,
तब गीत खुशी के गाती है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)