*सुबह हुई तो सबसे पहले, पढ़ते हम अखबार हैं (हिंदी गजल)*
मुसीबत में घर तुम हो तन्हा, मैं हूँ ना, मैं हूँ ना
अपने सिवा किसी दूजे को अपना ना बनाना साकी,
प्रकृति! तेरे हैं अथाह उपकार
भीड़ और लोगों के अप्रूवल्स इतने भी मायने नहीं रखते जितना हम म
हनुमान वंदना त्रिभंगी छंद
मंदिर का निर्माण फिर फिर । हो जमींदोज मंदिरों का निर्माण फिर फिर।
सुख ,सौभाग्य और समृद्धि का पावन त्योहार
गले लगाकर हमसे गिले कर लिए।