#लघुकथा

#लघुकथा
■ कड़ी निगरानी…।।
(समाज के कलंकों को सधिक्कार समर्पित)
【प्रणय प्रभात】
“अच्छा चलो, एक बात बताओ! तुम यहाँ मेरे साथ मज़े कर रहे हो। यही सब तुम्हारी घरेलू बीवी भी पीछे से कर रही हो तो…?”
अदा से आइसक्रीम कुतरते हुए मालिनी ने दिनेश से पूछा। दोनों सहकर्मी थे और आम दिनों की तरह आज भी चौपाटी पर आए थे मौज-मस्ती के लिए। शहर से बाहर एक होटल में जाने से पहले। हर वीकेंड की तरह मूड बनाने के लिए।
इस अप्रत्याशित से सवाल पर दिनेश पल भर को थोड़ा असहज सा दिखा। फिर संभल कर बोला-
“ऐसा संभव ही नहीं माय डियर। घर के सारे सीसीटीव्ही कैमरे मेरे मोबाइल से अटैच हैं और यह सब उसे भी पता है। कड़ी निगरानी के बीच कैसी गड़बड़…?”
मालिनी हैरत से दिनेश का मुँह ताक रही थी। दिनेश एक कुटिल सी मुस्कान के साथ उसकी ओर निहार रहा था। अपनी धूर्तता व बेशर्मी पर आत्म-मुग्ध सा नज़र आता।।
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★सम्पादक★
न्यूज़&व्यूज (मध्यप्रदेश)