होली का त्योहार

भंग का रंग जमा हो चकाचक, रंगों की बौछार
देखो-देखो आया लोगों, होली का त्यौहार
गात-पात सब डोल रहे हैं
फूल पराग कपोल किये हैं
तरुओं ने तन खोल दिए हैं
कलियों ने अठखेल किये हैं
गुलशन सारा आज है झूमें, चलती मलय बयार
देखो-देखो आया लोगों, होली का त्यौहार
कोकिल कंठ से गीत है गाती
थाप-मृदंग शीत हर जाती
पीली-पीली सी गुरनारी
राग भरे मारे पिचकारी
ढ़ोल-मंजीरे बजे झमाझम, फागों की फुहार
देखो-देखो आया लोगों, होली का त्यौहार
हवा फागुनी रंग जो लाती
गोरी चूनर उड़ती जाती
आँख में बादल भरते काजल
सजती पलकों से सब घायल
छैल-छबीली, रंग-रंगीली, का होता दीदार
देखो-देखो आया लोगों, होली का त्यौहार
गूँज रहा है मोहक मधुमय
प्रेम-सुधा होती है रसमय
नेह-प्रणय ले रंग बरसते
भीगी-प्रीत के संग छलकते
भीगे मन के जल-तरंग में, दिल के झनके तार
देखो-देखो आया लोगों, होली का त्यौहार
दूर-दूर ही अब तक देखा
दुनिया की रंगीनी को
आओ आज हम मिलकर रंग लें
कोरी-चादर झीनी को
गमों की आहट दूर है बैठी, उमंगों की बहार
खुशियों के रंगों से सबका, आज रंगा संसार
––कुँवर सर्वेंद्र विक्रम सिंह✍🏻
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