इस दिल में जो बसी थी वो भोली चली गई है।

इस दिल में जो बसी थी वो भोली चली गई है।
प्रेमी के चाहतों से रंगोली चली गई है।
किस वास्ते मैं खेलूं रंगों का पर्व पावन
उससे बिछड़ के मेरी होली चली गई है।
दीपक झा रुद्रा
इस दिल में जो बसी थी वो भोली चली गई है।
प्रेमी के चाहतों से रंगोली चली गई है।
किस वास्ते मैं खेलूं रंगों का पर्व पावन
उससे बिछड़ के मेरी होली चली गई है।
दीपक झा रुद्रा