होली

कुंडलिया
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होली के जो रंग हैं, वे खुशियों के शैल।
हृदय में घुल जात हैं, धोदें मन का मैल।
धोदें मन का मैल, करत पुलकित तन मन को।
द्वेष बैर बिसराय, मुदित करते जन-जन को।
कहत राज है आज, खुशी की खिड़की खोली।
मन भावन पकवान, मची है खूबयीं होली।।
~🖋️ राजकुमार पाल (राज)✒️