ममत्व
मेरी जिंदगी में तू …
अंबर सा अनंत है ।
या यूं कहूं जैसे नव चेतना उमंग
उत्साह जगाता तू मेरा बसंत है !!
मैंने मांगी थी तेरे लिए…
दर दर जाकर दुआएं और मन्नतें !
तुझ से बढ़कर मेरे लिए
न धर्म न मजहब न पंत है !!
नदी सी बहती हुई…
ममता की ऊंची लहरों संग
काट रही हूं अब जिंदगी का सफर !
तुम चलना उस सफलता के सागर तक
जिसका ना कोई अंत है !!
सच कहूं…
मेरी जिन्दगी में तू ही अंबर सा अनंत !!
• विशाल शुक्ल