दोष विषमता बढ़ रही, ले भ्रामक उन्माद।

दोष विषमता बढ़ रही, ले भ्रामक उन्माद।
मानवता को मारकर, नीच करे भी नाद।
रंग संग रमजान का, लख आया संयोग।
आओ मिल उत्सव करें, मिट जाये सब सोग।।
संजय निराला
#होली_विशेषांक
दोष विषमता बढ़ रही, ले भ्रामक उन्माद।
मानवता को मारकर, नीच करे भी नाद।
रंग संग रमजान का, लख आया संयोग।
आओ मिल उत्सव करें, मिट जाये सब सोग।।
संजय निराला
#होली_विशेषांक